राष्ट्रीय रोजगार नीति के ड्राफ्ट पर चर्चा हेतु "रोजगार संवाद" का आयोजन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में देश की बात फाउंडेशन द्वारा किया गया।
( प्रोफेसर डा. शादमा सिद्दीकी रोजगार संवाद पर विचार रखते हुए)
देश की बात फाउंडेशन, द्वारा भोपाल,मध्यप्रदेश में 19 नवंबर 2021 को, इंंटक भवन, गोविंदपुरा मे
राष्ट्रीय रोजगार नीति के ड्राफ्ट पर चर्चा व् सुझाव हेतु "रोजगार संवाद" आयोजित किया गया।
इस अवसर पर रोजगार संवाद में आंमत्रित अतिथियों ने अपने अपने विचार एवं सुझाव
दिए जिसके अंतर्गत
सैम ग्लोबल यूनिवर्सिटी ,स्कूल ऑफ़ पैरामेडिकल साइंसेज की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा. शादमा सिद्दीकी ने व्याख्यान देते हुए बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव दिया
जॉइंट फोरम ऑफ़ मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव कुमार संतोष यादव ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बेरोजगारी से संबधित बिन्दुओ पर प्रकाश डाला साथ आउटसोर्सिंग के माध्यम से हो रही भर्तियो के द्वारा हो रहे शोषण एवं अन्याय पर अपनी बात रखी
रोजगार संवाद में 60 से अधिक संगठन हुए शामिल
(सेंट्रल कॉर्डिनेटर वैभव यादव राष्ट्रीय रोजगार नीति के ड्राफ्ट को प्रस्तुत करते हुए)
रोजगार संवाद में चर्चा एवं सुझाव के लिए सकारात्मक राष्ट्रवाद की समान विचारधारा वाले लगभग 60 से अधिक प्रतिनिधि विभिन्न छात्र संगठन, युवा संगठन, अध्यापक संगठन, महिला संगठन, श्रमिक संगठन, किसान संगठन, व्यापारी संगठन, N.G.O., R.W.A. एवं अन्य संगठनो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बी पी शर्मा अध्यक्ष श्रमिक संगठन एम्स भोपाल ने अपने सुझाव देते हुए कहा की रोजगार नीति आज देश के युवाओं, कामगारों के लिए आवश्यक एवं अनिवार्य है।
देश बेरोज़गारी के भयावह संकट से जूझ रहा है रोजगार निति नहीं होने से डिग्रियां बेकार
प्रतिनिधियों ने एक मत में कहा कि आज देश बेरोज़गारी के भयावह संकट से जूझ रहा है । बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर-दर भटक रहे हैं ।
आउटसोर्सिंग ठेकेदारी से भर्तियां बंद हो
देश भर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भर्ती नहीं की जा रही है, जहां भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, 'राष्ट्रीय रोज़गार नीति' बनाने की जरूरत है जिससे देश की अर्थव्यवस्था मे सुधार आएगा।
‘देश की बात फाउंडेशन’
‘देश की बात फाउंडेशन’ जो एक वैचारिक संगठन है और ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ की विचारधारा के आधार पर राष्ट्र-निर्माण के लिए काम कर रहा है, सकारात्मक राष्ट्रवाद का मानना है, बेरोज़गारी की समस्या का समाधान - ‘राष्ट्रीय रोज़गार नीति’ है । ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ के अनुसार रोज़गार सिर्फ़ आर्थिक मसला नहीं है, बल्कि राष्ट्र-निर्माण में सबकी हिस्सेदारी का भी मसला है। रोज़गार के ज़रिए ना सिर्फ भौतिक जरूरतें जैसे रोटी, कपड़ा, मकान की जरूरत पूरी होती है बल्कि राष्ट्र-निर्माण में भागीदारी के ज़रिए आत्म-संतुष्टि व आत्म-सम्मान भी पूरा होता है ।
‘देश की बात फाउंडेशन ने 'राष्ट्रीय रोज़गार नीति' प्रस्तुत करने का बीड़ा उठाया है
‘देश की बात फाउंडेशन ने बेरोज़गारी की समस्या का समाधान करने के लिए देश के सामने 'राष्ट्रीय रोज़गार नीति' प्रस्तुत करने का बीड़ा उठाया है
‘राष्ट्रीय रोज़गार नीति’ राष्ट्र-निर्माण करने का दस्तावेज है ।
'राष्ट्रीय रोज़गार नीति' के ज़रिए राष्ट्र-निर्माण के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए देश की बात फाउंडेशन द्वारा देश के सभी राज्यों के अलग-अलग शहरों में 'रोज़गार संवाद' का आयोजन किया जा रहा है।
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